गेटवे ऑफ़ इंडिया: मुंबई की शान और ब्रिटिश इतिहास की मूक गवाही

Gateway of India Mumbai sunset view with boats

प्रस्तावना: मुंबई का प्रवेशद्वार, इतिहास का प्रतीक

गेटवे ऑफ़ इंडिया… मुंबई की पहचान और भारत के औपनिवेशिक इतिहास का मूक साक्षी। अरब सागर के किनारे खड़ा यह भव्य स्मारक न सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि उस दौर की याद दिलाता है जब भारत ब्रिटिश राज की गिरफ्त में था। 26 मीटर ऊँचे इस पीले बेसाल्ट पत्थर के संरचना ने कई ऐतिहासिक पल देखे हैं – राजाओं का स्वागत, आज़ादी का जश्न, और आज का रोमांचक पर्यटन। आइए, जानते हैं इस “प्रवेशद्वार” के निर्माण, वास्तुकला, और यादगार घटनाओं की दास्ताँ!


1. गेटवे ऑफ़ इंडिया का निर्माण: क्यों और कैसे हुई शुरुआत?

गेटवे ऑफ़ इंडिया का निर्माण ब्रिटिश सरकार ने 1911 में शुरू किया था। इसका मुख्य उद्देश्य था किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के भारत दौरे (1911) का स्वागत करना। उन्हें मुंबई के अपोलो बंदर पर उतारा गया था, जहाँ यह स्मारक बनाया गया।

निर्माण की मुख्य बातें:

  • स्थान: मुंबई हार्बर के सामने, अपोलो बंदर क्षेत्र।
  • वास्तुकार: स्कॉटिश आर्किटेक्ट जॉर्ज विटेट ने डिज़ाइन तैयार किया।
  • लागत: उस समय 21 लाख रुपये (आज के हिसाब से करोड़ों)।
  • समय अवधि: नींव 1911 में रखी गई, लेकिन निर्माण 1924 में पूरा हुआ।
  • सामग्री: पीला बेसाल्ट पत्थर और कंक्रीट। गुजरात के घोड़ासर क्षेत्र से पत्थर मंगवाए गए।

रोचक तथ्य: किंग जॉर्ज और क्वीन मैरी ने सिर्फ एक कागज़ी मॉडल देखा था, क्योंकि निर्माण शुरू होने से पहले ही वे भारत आ गए थे!


2. वास्तुकला: भारतीय और यूरोपीय शैली का संगम

गेटवे ऑफ़ इंडिया इंडो-सारासेनिक शैली में बना है, जो भारतीय, इस्लामिक, और यूरोपीय डिज़ाइन को मिलाता है।

विशेषताएँ:

  • ऊँचाई: 26 मीटर (85 फीट)।
  • मेहराब: 15 मीटर ऊँची मुख्य मेहराब, जिसके दोनों ओर छोटे मेहराब।
  • नक्काशी: जटिल फूलदार पैटर्न और जाली का काम
  • चार मीनारें: शीर्ष पर छत्री जैसी संरचनाएँ।
  • शिलालेख: मेहराब पर संस्कृत और उर्दू में “प्रवेशद्वार” लिखा है।

वास्तु रहस्य: संरचना का आधार हिंदू-मुस्लिम वास्तुकला से प्रेरित है, जबकि गुंबद रोमन शैली में बने हैं।


3. ऐतिहासिक महत्व: स्वागत से विदाई तक

गेटवे ऑफ़ इंडिया ने भारत के इतिहास के कई महत्वपूर्ण पलों को देखा है:

ब्रिटिश शासन का प्रतीक:

  • 1911 में किंग जॉर्ज के स्वागत के लिए बनाया गया, लेकिन 1947 में इसी स्थान से अंतिम ब्रिटिश सैनिकों ने भारत छोड़ा।
  • 28 फरवरी 1948 को ब्रिटिश सेना का “फर्स्ट सोमरसेट लाइट इन्फैंट्री” रेजिमेंट यहाँ से रवाना हुआ।

स्वतंत्रता के बाद:

  • आजादी के बाद यह स्मारक “भारत की विजय” का प्रतीक बना।
  • 2003 में गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास हुए बम धमाकों (ताज होटल और ओबेरॉय होटल पर हमला) ने इसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का भी गवाह बना दिया।

4. गेटवे ऑफ़ इंडिया और ताज होटल: एक अटूट रिश्ता

गेटवे ऑफ़ इंडिया के सामने ताज महल पैलेस होटल खड़ा है, जिसे 1903 में बनाया गया। दोनों संरचनाएँ मुंबई के सबसे फोटोजेनिक स्थलों में गिनी जाती हैं।

  • ऐतिहासिक कड़ी: 26/11 आतंकी हमले में ताज होटल निशाना बना, लेकिन गेटवे ऑफ़ इंडिया ने भारत की एकजुटता को दर्शाया।
  • फोटो स्पॉट: पर्यटक गेटवे से ताज होटल की पृष्ठभूमि में फोटो खिंचवाना पसंद करते हैं।

5. पर्यटन का केंद्र: मुंबई आए तो यहाँ ज़रूर जाएँ

गेटवे ऑफ़ इंडिया मुंबई के सबसे व्यस्त पर्यटन स्थलों में से एक है।

आकर्षण:

  • नौका विहार: यहाँ से एलीफेंटा की गुफाओं और अरब सागर की सैर के लिए नावें चलती हैं।
  • स्ट्रीट फूड: समोसे, भेलपूरी, और नारियल पानी का मजा लें।
  • सनसेट व्यू: शाम को समुद्र की लहरों और सूर्यास्त का नज़ारा लुभावना।

नज़दीकी आकर्षण:

  1. ताज होटल: 2 मिनट की पैदल दूरी।
  2. छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय: 10 मिनट की ड्राइव।
  3. मरीन ड्राइव: 15 मिनट की दूरी पर स्थित।

6. रोचक तथ्य: गेटवे से जुड़े अनसुने सच

  1. गेटवे ऑफ़ इंडिया को “भारत का ताजमहल” भी कहा जाता है।
  2. 2008 में इसे विश्व धरोहर स्थल की लिस्ट में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया।
  3. 2012 में एक पाकिस्तानी आतंकी समूह ने यहाँ हमले की योजना बनाई, लेकिन भारतीय एजेंसियों ने उसे नाकाम कर दिया।
  4. 1980 के दशक तक यहाँ से पानी के जहाज़ यूरोप और अमेरिका के लिए रवाना होते थे।

7. गेटवे ऑफ़ इंडिया की मरम्मत और संरक्षण

समय के साथ गेटवे को प्रदूषण और नमी से नुकसान पहुँचा। 2003 और 2019 में बड़े पैमाने पर रेनोवेशन हुआ:

  • पत्थरों की सफाई: लेजर टेक्नोलॉजी से पीले बेसाल्ट को चमकाया गया।
  • लाइटिंग: 2019 में 28 LED लाइट्स लगाई गईं, जो स्मारक को रात में जगमगाती हैं।
  • सुरक्षा: सीसीटीवी कैमरे और बैरिकेड्स लगाए गए।

8. गेटवे ऑफ़ इंडिया पर फिल्मांकन: बॉलीवुड का पसंदीदा लोकेशन

  • शोले (1975): अमिताभ बच्चन की फिल्म का क्लाइमैक्स यहाँ फिल्माया गया।
  • सलाम नमस्ते (2005): प्रीति जिंटा और सैफ अली खान का डांस सीन।
  • धूम 3 (2013): आमिर खान का स्टंट दृश्य।

निष्कर्ष: मुंबई की शान, भारत की पहचान

गेटवे ऑफ़ इंडिया सिर्फ एक स्मारक नहीं, बल्कि भारत के उस इतिहास का प्रतीक है जहाँ औपनिवेशिक अतीत और स्वतंत्र वर्तमान का मेल है। आज यह स्थान पर्यटकों के साथ-साफ स्थानीय लोगों की भी पसंदीदा जगह है, जहाँ वे शाम की हवा का आनंद लेते हैं। चाहे आप इतिहास के प्रेमी हों या फोटोग्राफी के शौकीन, गेटवे ऑफ़ इंडिया आपको हर बार मंत्रमुग्ध कर देगा।

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