छत्रपति शिवाजी टर्मिनस: मुंबई की गौरवशाली विरासत और वास्तुकला का अद्भुत संगम

Chhatrapati Shivaji Terminus Mumbai Gothic Architecture Night View

प्रस्तावना: मुंबई की धड़कन का केंद्र

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) न सिर्फ मुंबई बल्कि भारत का सबसे व्यस्त और ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन है। यह इमारत अपनी भव्य गोथिक वास्तुकला, जटिल नक्काशी, और समृद्ध इतिहास के लिए दुनियाभर में मशहूर है। 1887 में बने इस स्टेशन ने ब्रिटिश राज से लेकर आधुनिक भारत तक के सफर को देखा है। यहाँ रोजाना 30 लाख से ज्यादा यात्री आते-जाते हैं, लेकिन इसकी खूबसूरती हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है। आइए, जानते हैं इस “जीवित विरासत” की कहानी!


1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: विक्टोरिया टर्मिनस से सीएसटी तक

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था। उस समय इसे विक्टोरिया टर्मिनस (वीटी) नाम दिया गया, जो ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के 50 वर्ष के शासन (गोल्डन जुबली) को समर्पित था।

निर्माण की मुख्य बातें:

  • शुरुआत: 1878 में।
  • पूरा हुआ: 1887 में (10 साल में)।
  • वास्तुकार: ब्रिटिश आर्किटेक्ट फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस ने इटली के सेंट पैन्क्रास स्टेशन से प्रेरणा ली।
  • लागत: उस समय ₹16.14 लाख (आज के हिसाब से करोड़ों)।
  • उद्घाटन: बॉम्बे के गवर्नर लॉर्ड रे ने किया।

रोचक तथ्य: स्टीवंस को इस प्रोजेक्ट के लिए ₹1,614 का ईनाम मिला, जो उस जमाने में बहुत बड़ी रकम थी!


2. वास्तुकला: गोथिक शैली और भारतीय शिल्प का अद्भुत मेल

सीएसटी विक्टोरियन गोथिक रिवाइवल और भारतीय परंपरागत शैली का बेजोड़ उदाहरण है।

प्रमुख विशेषताएँ:

  • गुंबद: 330 फीट ऊँचा गुंबद, जिसके शीर्ष पर प्रोग्रेस (प्रगति) की मूर्ति लगी है।
  • मीनारें: चार कोनों पर सजावटी मीनारें।
  • नक्काशी: पत्थर पर उकेरी गई फूल, जानवर, और देवी-देवताओं की आकृतियाँ।
  • स्टेन ग्लास खिड़कियाँ: इटली से आयातित रंगीन काँच से सजी।
  • सीढ़ियाँ: ओक की लकड़ी से बनी भव्य सीढ़ियाँ।

वास्तु रहस्य: इमारत में गोल्डन गुंबद के नीचे स्टार ऑफ इंडिया का प्रतीक बना है, जो ब्रिटिश और भारतीय एकता को दर्शाता है।


3. नाम परिवर्तन और यूनेस्को सम्मान

  • 1996 में महाराष्ट्र सरकार ने इसे मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर रखा।
  • 2004 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। इसकी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व को मान्यता मिली।

4. सीएसटी का महत्व: मुंबई की लाइफलाइन

  • यातायात हब: सेंट्रल रेलवे का मुख्यालय। यहाँ से लोकल, लॉन्ग-डिस्टेंस, और मध्य रेलवे की ट्रेनें चलती हैं।
  • रोजाना 30 लाख यात्री: मुंबई की भागदौड़ का केंद्र।
  • ऐतिहासिक ट्रेनें: दक्कन ओडिसी और मुंबई-हावड़ा मेल जैसी ट्रेनें यहाँ से शुरू होती हैं।

5. सांस्कृतिक प्रभाव: फिल्मों से लेकर साहित्य तक

  • बॉलीवुड: स्लमडॉग मिलियनेर (2008), झूठा ही सही (2010) जैसी फिल्मों में सीएसटी दिखाई दिया।
  • साहित्य: ग्रेगरी डेविड रॉबर्ट्स के उपन्यास शांताराम में इसका ज़िक्र है।
  • ऐतिहासिक घटनाएँ: 2008 के मुंबई हमले में आतंकियों ने यहाँ हमला किया, लेकिन सुरक्षा बलों ने स्थिति संभाली।

6. संरक्षण के प्रयास: विरासत को बचाने की जद्दोजहद

  • प्रदूषण का असर: वायु प्रदूषण से पत्थरों का रंग फीका पड़ा। 2012 में लेजर क्लीनिंग से इसे चमकाया गया।
  • यूनेस्को दिशानिर्देश: नई इमारतों की ऊँचाई सीमित कर संरचना का मूल स्वरूप बरकरार रखा गया।
  • सुरक्षा उपाय: सीसीटीवी कैमरे और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती।

7. रोचक तथ्य: जो आप नहीं जानते होंगे!

  1. सीएसटी का डिज़ाइन एक भारतीय छात्र ने बनाया था, लेकिन स्टीवंस को सारा श्रेय मिला।
  2. 1905 तक यहाँ घोड़ागाड़ियों से यात्रियों को लाने-ले जाने की सुविधा थी।
  3. 1913 में पहली बार बिजली से चलने वाली ट्रेन यहाँ से चली।
  4. गुंबद के नीचे एक गुप्त कमरा है, जिसका इस्तेमाल ब्रिटिश अधिकारी मीटिंग के लिए करते थे।

निष्कर्ष: जीवित इतिहास की मिसाल

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस सिर्फ एक रेलवे स्टेशन नहीं, बल्कि मुंबई की गरिमा और भारत की सांस्कृतिक धरोहर है। यह इमारत हमें याद दिलाती है कि कैसे कला और कार्यक्षमता एक साथ फल-फूल सकते हैं। आज भी जब इसकी घंटी बजती है और ट्रेनें चलती हैं, तो लगता है कि इतिहास और वर्तमान एक साथ चल रहे हैं। यह स्टेशन न सिर्फ यात्रियों को गंतव्य तक पहुँचाता है, बल्कि भारत की गाथा भी सुनाता है।

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